Duke Ball : इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2023 जल्द फैन्स को दीवाना बनाने आ रहा है। इस साल का आईपीएल का सीजन 31 मार्च से शुरू होगा। लेकिन इससे पहले भारतीय टीम के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है।
टीम ने आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (World Test Championship-WTC) के फाइनल में प्रवेश कर लिया है। यह खिताबी मुकाबला सात जून से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लंदन के ओवल मैदान में खेला जाएगा।
लेकिन यहां देखने वाली बात ये है कि आईपीएल 31 मार्च से 28 मई तक चलेगा। इसके ठीक एक हफ्ते बाद भारतीय टीम इंग्लैंड के लिए रवाना होगी। जहां ड्यूक बॉल से यह वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मैच खेला जाएगा। जबकि आईपीएल में एसजी बॉल का इस्तेमाल होता है।
WTC फाइनल में इस्तेमाल होगा ड्यूक बॉल
ऐसे में इसे तोड़ने के लिए भारतीय टीम ने एक तरकीब निकाली है। भारतीय खिलाड़ी आईपीएल के दौरान ड्यूक गेंद से अभ्यास करते नजर आएंगे। ताकि आईपीएल के ठीक बाद होने वाली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने में खिलाड़ियों को दिक्कत न हो।
यहां फैन्स काफी कंफ्यूज होंगे कि आखिर एसजी और ड्यूक बॉल क्या होती हैं? और आईपीएल एसजी गेंद से ही क्यों खेला जाता है। जबकि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच में ड्यूक बॉल ही क्यों इस्तेमाल होगी।
क्रिकेट में कितने प्रकार की गेंदों का उपयोग किया जाता है?
वर्तमान में विश्व क्रिकेट में तीन प्रकार की गेंदों का उपयोग किया जाता है। ये तीन गेंदें कूकाबुरा, ड्यूक्स और एसजी गेंदें हैं। इन तीनों प्रकार की गेंदों का उपयोग विभिन्न देशों में किया जाता है।
कौन सा देश किस गेंद का उपयोग करता है?
विश्व क्रिकेट में टेस्ट खेलने वाले देशों में कूकाबुरा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस गेंद से 8 देशों में क्रिकेट खेला जाता है। कूकाबुरा का उपयोग ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान में किया जाता है। जबकि ड्यूक बॉल से इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज में क्रिकेट खेला जाता है। भारत एकमात्र देश है जो SG गेंद का उपयोग करता है।
- कूकाबुरा : ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान।
- ड्यूक : इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज।
- एसजी : केवल भारत में उपयोग किया जाता है।
क्या है तीनों गेंदों की खासियत?
इंग्लैंड में बनी ड्यूक गेंद की सीम उठी हुई होती है। इस गेंद की सिलाई हाथ से की जाती है। इस गेंद से तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद मिलती है। ड्यूक गेंद की कठोरता 60 ओवर तक रहती है। जबकि इस गेंद से गेंदबाजों को 20-30 ओवर के बाद ही रिवर्स स्विंग मिलने लगती है।
रिवर्स स्विंग के मामले में कूकाबुरा और एसजी गेंद थोड़ी अलग होती है। 50 ओवर के करीब दोनों गेंदों से रिवर्स स्विंग शुरू हो जाती है। बात करें एसजी बॉल की तो यह मेड इन इंडिया ही बनती है। इसकी सिलाई भी ड्यूक की तरह हाथ से की जाती है। इस गेंद की सीम उठी हुई होती है। यह गेंद तेज गेंदबाजों से ज्यादा स्पिनरों की मदद करती है।
कूकाबुरा बॉल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही बनाई जाती है। इसकी सिलाई मशीन से की जाती है। इसकी सिलाई दबाई जाती है। यह गेंद शुरुआती 20 से 30 ओवरों में तेज गेंदबाजी के लिए बेहतर है। इसके बाद यह बल्लेबाजी के लिए बेहतर है। सीम प्रेसिंग के कारण यह गेंद अन्य गेंदों की तुलना में स्पिनरों के लिए कम मददगार होती है।
गेंद के इस्तेमाल को लेकर क्या हैं आईसीसी के नियम?
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मुताबिक गेंद के इस्तेमाल को लेकर कोई खास नियम नहीं हैं। जहां कोई मैच या सीरीज होती है, वह देश अपनी पसंद के अनुसार गेंद का इस्तेमाल करता है। एक देश प्रत्येक श्रृंखला को एक अलग गेंद से भी खेल सकता है।